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पंचतंत्र की कहानी: बंदर और लकड़ी का खूंटा – bandar aur lakdi ka khunta

एक बार..गुरू ने अपने शिष्य को समझाते हुए, आम के पेंड की कहानी सुनाई – एक आम का वृक्ष था। जिसमे ढेर सारे आम पके हुए थे, एक दिन उस पेंड का मालिक आया और पेंड पर चढ़कर सारे आम तोड़ने लगा।

और उसने नाक और भौ को खीझते सिकोड़ते हुए कहा ” मेरे पास अभी समय नहीं है ” मुझे बड़े काम करना है, बड़ा बनना है ऐसे कहते हुए वह व्यक्ति आगे बढ़ गया। 

व्यक्ति विनम्रता से बोला – भगवान, वैसे तो मै समय पर ही पहुंच जाता परन्तु रास्ते में एक बोझ उठाने वाली वृद्ध महिला की मदद करने में, एक वृद्ध गाड़ीवाले के गाड़ी को कीचड़ से निकालने में, और एक अंधी वृद्धा को उसके झोपडी तक पहुंचाने में थोड़ी विलंब हो गयी,

“When I received laid off at fifty three from a senior administration place having a struggling cafe chain, I realized it absolutely was going to be hard to find One more position in the company environment. I also realized it had been now or never ever to go after my lifelong desire of proudly owning my own cafe. What was most daunting was that, in order to make this transpire, I was planning to really need to find an current café which was underperforming and whose owner was highly determined to have away from his lease. I obtained extremely Fortunate and located just what I needed eight blocks from home.

सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए।

नन्ही गिलहरी ने सागर पे पुल बांधा

हंस ने हंसिनी को समझाते हुए कहा कि किसी तरह यहाँ आज की रात काट लेते हैं, क्योंकि अब मुझे समझ आ गया है कि यह जगह इतना सुनसान क्यों है। इस तरह का उल्लू जिस जगह पर रहेगा वहां वीरान तो रहेगा ना। 

यह कहानी अवश्य पढ़े : महात्मा गाँधी जी की शिक्षा

अपने भाई को कर्ज से मुक्त कराने के लिए गाँधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेंच दिया और उसके पैसे अपने भाई को दे दिए.

अकबर बीरबल की कहानियाँ

“Once i was 40 several years aged, get more info my wife died of a unusual liver sickness. She was 34. At time, we had a 10-12 months-old daughter and I was the co-owner of a silkscreen small business in San Francisco. Immediately after her Loss of life, I spotted there was a little something even larger I required to do in my lifetime, but experienced no clue what. So, I sold my 50 % with the enterprise to my husband or wife and waited for assistance to grasp what to complete next. My wife had an excellent sense of humor and, Even though there were a lot of tears throughout the 3 several years of her terminal sickness, there was numerous laughter.

पंचतंत्र की कहानी: बिल्ली का न्याय – billi ka nyay

मिल देखने के बाद शास्त्रीजी मिल के गोदाम में पहुँचे तो उन्होंने साड़ियाँ दिखलाने को कहा। मिल मालिक व अधिकारियों ने एक से एक खूबसूरत साड़ियाँ उनके सामने फैला दीं। शास्त्रीजी ने साड़ियाँ देखकर कहा- "साड़ियाँ तो बहुत अच्छी हैं, क्या मूल्य है इनका?"

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